और कहीं नहीं

जो करना चाहता है तू, उसकी शुरुआत तेरे अंदर है जिस सुनसान राह पर निकला है तू, उसके जीत की आवाज़ तेरे अंदर है मुश्किलें जो भी हैं तेरे सामने अभी, सुलझनों की वो तलवार तेरे अंदर है जो भी खौफ़ है लोगों का तुझे, उन सबसे लड़ने का वह राज़ भी तेरे अंदर है तू कदम तो बढ़ा, जीत की तरफ़ की राह तेरे अंदर है थोड़ी देर चलने के बाद पीछे तो मत भाग वो आगे बढ़ने की आग भी तेरे अंदर है हां, अभी सब हैं तुझसे निराश, पर सब ठीक करने की वो चाह भी तो तेरे अंदर है तो क्या हुआ अगर हार रहा है इस दुनिया के सामने तू, जीत के दिन तालियों के शोर में जब रचा जाएगा एक इतिहास वो इतिहास भी तेरे अंदर है क्यूं हार मान कर झूठ को सच मान लेता है तू, सच और झूठ को ढूंढ़ने की वो आगाज़ भी तेरे अंदर है जिस खुदा के सामने सपनों के सच होने की इबादत करता है तू, इबादत करके झांक कर देख और कहीं नहीं वो खुदा भी तेरे अंदर है। Copyright © 2019...